रविवार, दिसंबर 28, 2008

जिला स्तरीय लोक कल्याण शिविर 29 दिसम्बर को रेपुरा में

जिला स्तरीय लोक कल्याण शिविर 29 दिसम्बर को रेपुरा में

भिण्ड 27 दिसम्बर 2008

       ग्रामीणों की समस्याओं के त्वरित निराकरण हेतु जिला स्तरीय लोक कल्याण शिविर 29 दिसम्बर को दोपहर 12 बजे से जनपद पंचायत अटेर के अन्तर्गत ग्राम रेपुरा में आयोजित किया जावे। कलेक्टर ने सभी जिला अधिकारियों को शिविर में उपस्थित रहने के निर्देश दिये गये है।

 

पेंशन प्रकरणों का निराकरण समय सीमा में करें-कलेक्टर

पेंशन प्रकरणों का निराकरण समय सीमा में करें-कलेक्टर

भिण्ड 27 दिसम्बर 2008

(टीप: भिण्‍ड कलेक्‍टर श्री सुहैल अली है)

       कलेक्टर श्री अशोक शिवहरे ने कहा है कि सेवानिवृत्त शासकीय अधिकारी कर्मचारियों के पेंशन प्रकरणों का निराकरण समय सीमा में किया जावे। उन्होंने सभी एसडीएम को निर्देश दिये है कि तहसील स्तर पर लंबित पेंशन प्रकरणों की समीक्षा करें। उन्होंने यह निर्देश आज सेवानिवृत शासकीय कर्मचारियों के स्वायत्य प्रकरणों की समीक्षा के दौरान दिये। इस अवसर पर जिला कोषालय अधिकारी श्री वाईएस भदौरिया,प्रभारी अधिकारी भू अभिलेख एवं डिप्टी कलेक्टर श्री हरविलासराव पंजाबी, अधीक्षक भू अभिलेख श्री मिश्रा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

       कलेक्टर श्री शिवहरे ने कहा कि सेवानिवृत शासकीय कर्मचारियों के साथ सहानुभूति पूर्ण व्यवहार रखे जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सभी जिला अधिकारी सेवानिवृत्त कर्मियों के स्वत्वों के निराकरण में मानवीय दृष्टिकोण रखकर निराकरण सुनिश्चित करें। उन्होंने कृषि, राजस्व, स्वास्थ्य व शिक्षा विभाग में लंबित प्रकरणों की विभाग वार समीक्षा की। श्री शिवहरे ने राजस्व विभाग में लंबित प्रकरणों के शीघ्र निराकरण हेतु सभी एसडीएम को निर्देश दिये कि वह तहसील स्तर पर लंबित प्रकरणों की समीक्षा करें तथा उनका शीघ्र निराकरण हेतु प्रकरण जिला कोषालय में भिजवाना सुनिश्चित करावे।

       श्री शिवहरे ने कहा कि एसे सेवानिवृत्त शासकीय कर्मी जिनके विरूद्व कोई गंभीर वित्तीय अनियमितता के जांच प्रकरण प्रचलित नही है। उन्हें शासन निर्देशानुसार 90 प्रतिशत तक पेंशन स्वीकृत कर दी जावे। उन्होंने जिला कोषालय अधिकारी को निर्देश दिये कि पेंशन प्रकरणों की समीक्षा बैठकों का आयोजन नियमित रूप से कराया जावे। तथा जिनमें अधिकारी कर्मचारी पेंशनर्स एसोशियेशन के पदाधिकारियों की उपस्थिति भी सुनिश्चित की जावे।

 

गुरुवार, दिसंबर 25, 2008

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मंगलवार, दिसंबर 23, 2008

उत्‍तरायण हुये सूर्य, दिन बढ़ना शुरू, उत्‍तरायण सूर्य देते हैं जीव को राहत नरेन्‍द्र सिंह तोमर ‘’आनन्‍द’’

उत्‍तरायण हुये सूर्य, दिन बढ़ना शुरू, उत्‍तरायण सूर्य देते हैं जीव को राहत

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

भारतीय ज्‍योतिष व तंत्र शास्‍त्र में उत्‍तरायण सूर्य का काफी अर्थ व महत्‍व है । उत्‍तरायण सूर्य के लिये भीष्‍म पितामह ने महाभारत के युद्ध में अपने प्राणों को वाण शैय्या (शर शैय्या ) पर तब तक रोके रखा जब तक कि सूर्य उत्‍तरायण नहीं हो गये ।

21-22 दिसम्‍बर से सूर्य उत्‍तरायण हो जाते हैं, इस साल भी 21 दिसम्‍बर को शाम 5 बज कर 55 मिनिट पर सूर्य नारायण की उत्‍तरायण स्थिति प्रारंभ हो चुकी है । और शिशिर ऋतु प्रारंभ होकर दिनों का बढ़ना शुरू हो गया है ।

उत्‍तरायण सूर्य की महिमा वर्णन अनेक भारतीय धर्म शास्‍त्रों में वर्णित है, श्रीमद्भगवद्गीता में श्रीकृष्‍ण ने अर्जुन को उत्‍तरायण सूर्य की महिमा प्रतिपादित करते हुये कहा कि उत्‍तरायण सूर्य, शुक्‍ल पक्ष व मध्‍याह्न में प्राण तजने वाले की मुक्ति स्‍वत: हो जाती है और वह सीधे वैकुण्‍ठ धाम का वासी होकर उसका कभी पुनर्जन्‍म नहीं होता ।

छ: माह तक सूर्य की उत्‍तरायण व छ: माह तक दक्षिणायण गति रहती है ।

जून माह में 21- 22 तारीख से सूर्य की दक्षिणायण गति प्रारंभ होकर दिन छोटे और रातें लम्‍बी होना प्रारंभ हो जातीं हैं ।

मृतक आत्‍माओं व चराचर जीवों के लिये उत्‍तरायण सूर्य राहत का संदेश लेकर आते हैं और अंत:आत्‍मा में व्‍याप्‍त क्‍लेश का शमन करते हैं ।

दम और खम जैसे हिन्‍दी शब्‍दों की व्‍युत्‍पत्ति दमन और शमन के भावार्थ से हुयी है । सूर्य को परम राजयोगी (परम योगी) मान्‍य किया गया है, सूर्य के कृपायमान होने से मनुष्‍य को दमन और शमन की अतुलनीय शक्ति, तेज, ओज व उल्‍लास व उत्‍साह प्राप्‍त होता है ।

दमन से युक्‍त मनुष्‍य को दम, और शमन से युक्‍त मनुष्‍य को शम या खम वाला यानि दम खम वाला मनुष्‍य कहा जाता है ।

सूर्य कृपा से विहीन मनुष्‍य इन दोनों कुदरती नेमतों से वंचित होकर पद युक्‍त होकर भी प्रभावहीन व तेजहीन रहता है । अत: ज्‍योतिष व तंत्र मनुष्‍य को सूर्य उपसाना व आराधना की आज्ञा देते हैं और निर्दिष्‍ट करते हैं कि मनुष्‍य नियमित रूप से सूर्य उपासन व आराधन करे ।

हठयोग में सूर्य नमस्‍कार नामक प्रचलित व्‍यायाम प्रणाली योगासन विख्‍यात है । नियमित रूप से सूर्य नमस्‍कार साधन से मनुष्‍य दैदीप्‍यमान होकर अतुलनीय तेज व राजाज्ञा की शक्ति प्राप्‍त होकर राजा तुल्‍य हो जाता है ।

राजयोग में योग विधि में प्राणयाम पद्धति अंगीकार की गयी है, राजयोग पर अद्भुत ग्रंथ मेरी नजर में स्‍वामी विवेकानन्‍द द्वारा रचित ''राजयोग'' महर्षि पतंजलि के योग सूत्र, गीता प्रेस गोरखपुर प्रकाशित योग पुस्‍तकें व श्रीमद्भगवद्गीता का नौवां अध्‍याय है । राजयोग साधन वस्‍तुत: कुण्‍डलीनी जागरण की विद्या है, जिसमें सुसुप्‍त पड़ी कुण्‍डलिनी को जागृत कर उसमें शक्ति प्रवाह किया जाता है और उसे ब्रह्मरन्‍ध्र अर्थात सर्वोच्‍च अवस्‍था तक ले जाया जाता है । और मनुष्‍य महा शक्तिमान व पराक्रमी होकर अलौकिक, पारलौकिक एवं विलक्षण शक्तियों का स्‍वामी बन जाता है । इस योग में इड़ा, पिंगला व सुषुम्‍ना नाड़ीयों में प्राण शक्ति से ऊर्जा प्रवाह किया जाता है और रीढ़ की हड्डी के नीचे त्रिकोण में सोयी कुण्‍डलिनी जो कि गांठ लगी होकर सुप्‍त पड़ी रहती है को गांठ खोलकर प्रवाहित किया जाता है । मनुष्‍य की इड़ा पिंगला नाड़ीयां हर मनुष्‍य में प्रत्‍येक समय सप्रवाह रहतीं हैं किन्‍तु सुषुम्‍ना में शक्ति प्रवाह सिर्फ इसी योग साधन से किया जाता है और मनुष्‍य विलक्षण हो जाता है ।

सूर्य की कृपा बगैर न राज प्राप्‍त होता है न योग न भोग । सूर्य का तिलिस्‍म उसकी वैभिन्‍य रश्मियों में भी छिपा है, प्रत्‍येक क्षण उसकी रश्मियां परिवर्तित होतीं हैं और प्रकृति को तद्नुसार प्रभावित कर मनुष्‍य मात्र को यथा प्रभाव देतीं हैं । सूर्य जन्‍म कुण्‍डली में यदि श्रेष्‍ठ और बलवान स्थिति में है तो निसंदेह मनुष्‍य को राज या राजतुल्‍य बना देता है लेकिन यदि इसके विपरीत यदि स्थित है तो राजकुल में जन्‍म लेने के बाद भी मनुष्‍य प्रभाव हीन होकर रंक की भांति जीवन यापन करता है ।

राजा भी यदि सूर्य का सम्‍यक उपाय व अभ्‍यास न करे तो राज और उसका राज्‍य शीघ्र ही नष्‍ट हो लेते हैं । सूर्य के कारण जन्‍म कुण्‍डली में लगभग हजारों प्रकार के विभिन्‍न योग निर्मित होते हैं, जारज निर्धारण में सूर्य का विशेष महत्‍व है ।

ज्‍योतिष में सूर्य को पाप व क्रूर ग्रह माना गया है, यह रूकावट, राजबाधा, राजसुख, राजयोग, राज्‍यप्राप्ति, राज्‍यहरण, पिता, आत्‍मा व तेजस्विता व प्रभाव आदि के बारे में कुण्‍डली में अपनी अवधारणायें तय करता है ।

सूर्य को तंत्र व ज्‍योतिष की कुछ अन्‍य शक्तियों का स्‍वामी भी मान्‍य किया गया है, चर्म रोग, कुष्‍ठ, एवं नेत्र रोग, वाम व दक्षिण नेत्र शक्ति, ज्ञान, विद्या व रसोत्‍पत्ति, जड़ी बूटियों में सार व रस, तासीर आदि की उत्‍पत्ति एवं वृद्धि सूर्य नारायण ही करते हैं ।

दवा असर करे, ज्ञान व विद्या फलित हो, योग पूर्ण हो, राजा व राज्‍य शक्ति तथा राजकृपा हेतु सूर्य साधन अकाट्य उपाय हैं ।

नीम, श्‍वेतार्क, करवीर सूर्य के कृपाकारक वृक्ष हैं, रक्‍ता आभा, रक्‍तरंग सूर्य के प्रिय रंग हैं । सूर्य की पत्‍नी छाया के गर्भ से उत्‍पन्‍न शनि देव से सूर्य को काफी प्रेम व स्‍नेह है किन्‍तु शनिदेव सूर्य से शत्रुता मानते हैं । 27 दिसम्‍बर को शनि देव की शनीचरी अमावस्‍या पड़ रही है ।         

सोमवार, दिसंबर 22, 2008

आओ चलो एक सेना बनायें, घर में दुबकें गाल फुलायें

हास्‍य/ व्‍यंग्‍य

       आओ चलो एक सेना बनायें, घर में दुबकें गाल फुलायें

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

काने सों कानो मत कहो, कानो जागो रूठ । धीरें धीरें पूछ लेउ तेरी कैसे गई है फूट ।।  

मेरे एक मित्र देश में बढ़ रहे आतंकवाद और भ्रष्‍टाचार से काफी दुखित होकर मेरे पास आये, साथ में दस बीस पठ्ठे भी उनके साथ बंदूको से लैस होकर सरपंचों की जेड प्‍लस के मानिन्‍द उनके संग थे । उनमें आक्रोश और व्‍यथा दोनों ही गहराई तक समाई थी । आकर मुझसे बोले दादा ये सब क्‍या है, बस बहुत हो गया अब अपन को सबको मिल कर एक सेना बनानी है अब अपन सब खुल कर देश के लिये लड़ेंगें ।

मेरे मित्र जाति से राजपूत थे और संग में उनके ठाकुर बाह्मणों के छोरों की लम्‍बी चौड़ी टोली थी । मुझे उनकी ख्‍वाहिश जान कर कोई खास  हैरत नहीं हुयी । 26 -27 नवम्‍बर के बाद से सारे देश से ज्‍यादा गुस्‍सा चम्‍बल में है, और चम्‍बलवासीयों का वश नहीं चल रहा वरना रातों रात आतंकिस्‍तान का नक्‍शा गायब कर भारत में विलय कर 13 अगस्‍त 1947 की स्थिति बहाल कर देते ।

मैंने उन्‍हें फुसलाते हुये पूछा कौनसी सेना बनाना चाहते हो महाराष्‍ट्र वाली शिव सेना या मनसे वाली सेना । वे उतावले होकर बोले हम लक्ष्‍मण सेना बनायेंगें आप गौर कर लो, अंक फंक ज्‍योतिष फ्योतिष से टटोल टटूल कर चेक कर लेना, फिट नहीं बैठे तो राम सेना या लव कुश सेना या फिर हनुमान सेना कर लेना । बस दादा फायनल कर लो और हमारा नेतृत्‍व कर डालों ।

मैं उनके तैश तेवरों को देख चुपके से बोला भाई सिकरवार वो सब तो ठीक है लेकिन ये सेना फेना बनाना ठीक नहीं है, ससुरी सेना बदनाम बहुत हो गयीं हैं, वे बोले कैसे बदनाम हो गयीं हैं हम समझे नहीं । मैंने कहा कि वो जो ठाकरे की शिव सेना है, उसने कभी सेना वाला काम किया नहीं बस लोगों को मारने पीटने, चन्‍दा और हफ्ता वसूली करके सिनेमा के पोस्‍टर उखाड़ता फूंकता रहा है लेकिन नाम अपनी टोली का शिव सेना धर दिया ऐसे ही मनसे की शिव सेना बोर्डिंग होर्डिंग बदलवाने और उत्‍तर भारत के भइया लोगों को खदेड़ने में लगी रही तब तक साला पछांह (पश्चिम) से आतंकिस्‍तानी कूद परै, बिनें देख सारे सेना वारे सैनिक घरनि में दुबक गये और अपने अपने प्रान बचावत फिरे । फिर बेई (वही) गैर मराठी काम आये सो सारे आंतंकिस्‍तानीयन की रेल सी बनाया दयी । सो तबसे ये सेना फेना फर्जी घोषित होय गयीं हैं । काम तो असली सेना ही आवे है । बो ही खाली करवाय पाये है मराठीयन के मठन को ।

सिकरवार साहब बोले तो ठीक है सेना फेना रहन देओ कछू और बनाय लेउ । पर एक संगठन तो होनो ही चाहियें । सो हाल लठ्ठ फोर दे ।

खैर ऊपर लिखी एक ऐसी सच्‍चाई है जो बमुश्किल दो चार रोज पुरानी है और लगभग ऐसे ही हालात अमूमन समूचे देश में हैं । आतंकवाद पर गुस्‍साये एक नेता जी मेरे पास आये बोले कि ये कसाब को मारा क्‍यों नहीं जा रहा अफजल को फांसी पे क्‍यों नहीं लटकाया जा रहा । ये हमारे देश को हो क्‍या गया है । फटाफट एक्‍शन क्‍यों नहीं ले रहा, आतंकिस्‍तान पर हमला क्‍यों नहीं कर रहा ।

मैं उनके ताबड़तोड़ सवालों से बौखला सा गया । मैं बोला भईया नेताजी यार अब ये तो वह बात हो गयी कि पूछ लो सूचना के अधिकार में क्‍यों नहीं विवाह हो रहा, क्‍यों नहीं बच्‍चा हो रहा, क्‍यों नहीं जुड़वां हो रहे । यार कसाब को मारना था तो पकड़ा ही क्‍यों था, उसी वक्‍त ठोक देते, तब काहे नहीं ठोका, यार नेता जी तुम उस बखत कहां थे जब कसाब ताबड़तोड़ गोलियां बरसा रहा था और सेना वाले बिलों  में दुबके लाशों की चादर ओढ़कर प्राण बचाते भाग रहे थे, तब तुम्‍हीं पकड़ लेते कसाब को और ठोक देते उसी वक्‍त । अब तुकाराम जी अपनी जान देकर कसाब यानि कसाई मियां को जैसे तैसे एक कीमती सबूत के तौर पर हमें दे गये हैं तो आप कह रहे हो कि इसे म्‍यूजियम में सजाने के बजाय ठोक क्‍यों नहीं रहे, इसका इण्‍टरनेशनल यूज क्‍यों हो रहा है इसे फांसी क्‍यों नहीं चढ़ा देते ।

भाई नेताजी पहले एक कसाब को खुद पकड़ों फिर खुद ठोको या उसे ठोकने की बात करो, कहने में भी सुघर लगोगे और जनता को बात भी रूचेगी, वरना ढपोरशंखी ही बजोगे । पकड़े पकड़ाये पर नर्राना आसान है, टेंटूयें से सुरों के ताल उलीचना सहज है पर पकड़ना कठिन है, यह तो स्‍वर्गीय शहीद तुकाराम भाई बता सकते हैं कि उन्‍होंने अपने प्राण देकर भी पहली बार भारत के हाथ एक ऐसा ब्रह्मास्‍त्र दे दिया कि अब भारत कसाब के बल पर न केवल दुनियां के सामने छाती तान कर खड़ा है बल्कि डिफैन्‍स से निकल कर अटैक की सिचुयेशन में आ गया है । और आप कह रहे हो कि ठोक दो कसाब को, साले नेता जी यार तुम हिन्‍दुस्‍तानी हो कि आतंकिस्‍तानी । आतंकिस्‍तान की मदद करने वाली हर बात तुम्‍हारे मुंह से बार बार नकल रही है ।

अरे जै ठोका ठाकी करनी थी तो नेताजी कंधार में क्‍या अम्‍मा मर गयी थी या नानी पानी भर रही थी । जो दामादों की तरह आंतंकिस्‍तानीयों को लगुन फलदान के संग छोड़ आये थे । बाप ने मारी मेंढ़की बेटा तीरन्‍दाज, क्‍या यार नेताजी देश के स्‍वतंत्रता संग्राम में तुम कहीं नहीं दीखे, अब पकी पकाई खाने को जीभ लपका मार रही है, कसाब के मामले में भी पकी पकाई के लिये लपक मार रहे हो । हम संसद में होते तो कहते शेम शेम शेम । राजनीति का कैसा गेम, शेम शेम शेम

आजाद देश पर हुकूमती के लिये फड़फड़ाना आसान है, और पकड़े पकड़ाये कसाब के लिये नसीहत देना भी आसान है मगर देश आजाद कैसे होता है ये तो वे ही बता सकेगें जिन्‍होंने अपने लहू से भारत की आजादी का इतिहास लिखा और अपनी पीड़ाओं के साये में सुखी जीवन के सपने त्‍याग कर फांसी और गोलीओं का चुम्‍बन लिया, कंधार जाकर दामादों की तरह खुख्‍वार आतंकिस्‍तानीयों को मय लगुन फलदान नहीं जाकर छोड़ा बल्कि उन्‍हीं के दरबार में उन्‍हीं की ऑंख में ऑंख डाल कर आँख निकाल लीं और टेंटुये में हाथ डालकर पेट में से आंतें खींच लीं ।

मुम्‍बई में आतंकिस्‍तानीयों को जो हश्र झेलना पड़ा, अगर यह अंजाम उन्‍हें कंधार में देखने को मिलता तो आज मुम्‍बई तक आने का हौसला नहीं उफान मारता, कंधार में हम आतंकिस्‍तानी भून देते तो मुम्‍बई में उने चरण कमल नहीं पड़ते । कंधार में हम कायर हुये तो मुम्‍बई तक आतंकिस्‍तान चढ़ बैठा । हमारी सेना (असली सेना) ने अपने वीर सैनिकों की जान देकर जिन खुंख्‍वार आतंकिस्‍तानीयों को पकड़ा था हमारे कायर और नाकारा लुगमहरे नेता उन्‍हें कंधार छोड़ कर आये, तब नेता जी काहे नहीं बोले कि ऐसा कर दो वैसा कर दो ।

मुम्‍बई में हमने 200 आदमी की कुर्बानी दी है तब एक जिन्‍दा आतंकिस्‍तानी हाथ आया है, अब इसके कर्म कुकर्म का हिसाब करने का वक्‍त आया है तो नेताजी बोलते हैं कि ठोक काहे नहीं देते । नेताजी ठोका ठोकी कंधार में करना । देश पे बोलने और देश को नसीहत देने या रास्‍ता दिखाने का हक तो कंधार में अपने दामादों के साथ ही छोड़ आये हो ।

भारत के इतिहास की वह शर्मनाक घटनायें जिन्‍हें काले पन्‍नों पर उकेरा जायेगा उसमें कंधार, संसद और मुम्‍बई मे हमला खास होंगें ।

ऑंख में पानी हो तो एक बार शर्मनाक कृत्‍य कर राजपूत आत्‍महत्‍या कर लेता है सारी कौम को नीचा दिखाने के बाद भी अगर वह यह कहे कि मौका पड़ा तो फिर ऐसा करूंगा, ऐसे साले को तो खड़े खड़े भून देना चाहिये । कसाब से ज्‍यादा खतरनाक तो ये नेता है जो, आंतकिस्‍तानीयों के हौसले बढ़ाने का स्‍टेटमेण्‍ट देकर उन्‍हें छपा छपाया इन्विटेशन कार्ड दे रहा है । और कह रहा है, यानि रास्‍ता दिखा रहा है कि आओ मेरे प्‍यारे दामादो और फिर कंधार चलो, मेरी सरकार आयेगी तो फिर तुम्‍हें लगुन फलदान देकर सकुशल विदा करूंगा । ये नेता अफीम वफीम खाता है क्‍या । पता नहीं भारत सरकार इसे गोली क्‍यों नहीं मरवा रही । कुत्‍ता पागल तो गोली और नेता पागल तो ...........।

हवालात में बन्‍द कसाब पे हवा और लात घुमाने वाले नेता जी अकल अड्डे पर रखो नहीं तो ठोक के कसाब के संग ही आतंकिस्‍तान भिजवा दिये जाओगे ।

अब नेता जी बोले कि चलो मान लिया कि हम कायर है पर यार ये अंतुले काहे को कह रहा है कि करकरे को हमने मारा, आतंकिस्‍तानीयों ने नहीं मारा । हम फिर गुस्‍साये, भरे भराये तो बैठे ही थे और अपनी जिह्वा रूपी तोप से फिर गोलों की बौछार शुरू की, और उल्‍टे नेता जी से ही पूछ लिया, यार ये घटना उस रात काहे घटी जब सबेरे पूरी स्‍टेट में वोट डलने थे, उसके बाद दो स्‍टेट में और वोट डलने थे, इस घटना का फायदा किसे मिलता । दूजी बात ये कि एटीएस वाले वे ही क्‍यों मरे जो प्रज्ञा भारती काण्‍ड देख रहे थे (चुन चुन कर ) ये संयोग नहीं हो सकता ( इसके बाद नेता जी के कुछ पालतू ब्‍लागर्स ने लिखा कि साला करकरे हरामी मारा गया, ये शहीद नहीं था एक आम आदमी था करकरे नाम का एक साधारण आदमी मारा गया, साले करकरे ने साधू संतों (प्रज्ञा भारती) से पंगा लिया और निबट गया । (इण्‍टरनेट पर लगभग आधा सैकड़ा ब्‍लाग छद्म नाम से बना कर एक ही मैटर कापी पेस्‍ट किया गया था )

तीजी बात ये कि यार नेता जी शुरू से ही तुम्‍हारे आचरण आतंकिस्‍तानी रहे हैं , अफजल को फांसी की डिमाण्‍ड कम से कम वो नहीं कर सकता जो आंतकवादीयों को दामाद की तरह कंधार में लगुन फलदान देकर आया हो । या जिन्‍ना की मजार पर माथा पटक कर रिरियाया हो ।

नेता जी हमने दो सौ निर्दोष मासूमों का रक्‍त देखा है, लहू खौल जाता है और ऐसे में तुम्‍हारा सुर तुम्‍हारी सूरत सब की सब काल बराबर नजर आती है । अच्‍छा हो कसाब का फैसला उन पर छोड़ो जिन्‍होंने उसे पकड़ा है । अपनी नेतिया टांय टांय बन्‍द रखो तो अच्‍छा है, बोलने का हक कंधार में जो छोड़ आये हो ।

रविवार, दिसंबर 21, 2008

गुर्जर उदय का प्रकाशन प्रारंभ, ऑनलाइन संस्‍करण भी आयेगा

गुर्जर उदय का प्रकाशन प्रारंभ, ऑनलाइन संस्‍करण भी आयेगा

मुरैना 21 दिसम्‍बर 08, नये साल पर गुर्जर समाज को तोहफा देते हुये अंतर्राष्‍ट्रीय गुर्जर समुदाय के सहयोग से मुरैना के युवा उत्‍साही समाजसेवी लायक सिंह गुर्जर द्वारा 'गुर्जर उदय' नामक मासिक समाचार पत्र का प्रकाशन आगामी जनवरी 2009 से किया जा रहा है ।

श्री गुर्जर ने ग्‍वालियर टाइम्‍स से चर्चा करते हुये बताया कि उनका समाचार पत्र स्‍थानीय वितरण के साथ देश और विदेश में भी वितरित होगा । इस सम्‍बन्‍ध में उन्‍हें भारी संख्‍या में गुर्जर समुदाय का सहयोग व अपेक्षायें प्राप्‍त हुयीं हैं ।

श्री गुर्जर ने बताया कि प्रसिद्ध वेबसाइट समूह ग्‍वालियर टाइम्‍स के सहयोग व सौजन्‍य से 'गुर्जर उदय' के ऑन लाइन संस्‍करण का इण्‍टरनेट पर भी प्रकाशित किया जायेगा और इसमें समाज के सदस्‍यों को ऑन लाइन सदस्‍यता प्राप्‍त करने तथा अपने विचार व्‍यक्‍त करने, रचनायें प्रकाशित कराने की सुविधा भी दी जायेगी । इसके साथ ही गुर्जर नौजवानों को रोजगार/ कैरियर परामर्श व सहायता सुविधायें तथा ऑनलाइन ई कामर्स/ शॉपिंग व कॉमन सर्विस सेण्‍टर सुविधा भी मिलेगी । इसके अलावा गुर्जर समुदाय के विवाह योग्‍य युवक युवतीयों को वैवाहिक ब्‍यूरो भी ऑन लाइन उपलब्‍ध होगा जिसमें वे अपना पंजीयन कर इच्छित विवाह कर सकेगें । और दहेज जैसी कुरीतियों से बच सकेगें ।

समाचार पत्र के प्रकाशन पर श्री लायक सिंह गुर्जर को अनेक गण्‍यमान्‍य लोगों द्वारा शुभकामनायें व बधाईयां दी गयीं हैं । जिसमें पूर्व मंत्री म.प्र. शासन श्री रूस्‍तम सिंह, सुमावली विधायक एवं पूर्व मंत्री म.प्र. शासन श्री ऐदल सिंह कंसाना, पूर्व विधायक व पूर्व मंत्री श्री कीरत राम सिंह कंसाना, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव श्री सोवरन सिंह मावई, कांग्रेस के प्रदेश सचिव श्री दिनेश सिंह गुर्जर, जिला पंचायत अध्‍यक्ष श्री रघुराज सिंह कंसाना, पूर्व जिलापंचायत अध्‍यक्ष श्री हमीर पटेल, जौरा जनपद अध्‍यक्ष श्री निरंजन सिंह गुर्जर , अम्‍बाह जनपद अध्‍यक्ष श्री विशाल सिंह गुर्जर, पहाड़गढ़ जनपद अध्‍यक्षा श्रीमती कुसुमा गुर्जर, मुरैना जनपद अध्‍यक्ष श्री भूरा सिंह कंसाना, मण्‍डी अध्‍यक्ष मुरैना श्रीमती मुन्‍नी देवी राजेन्‍द्र सिंह गुर्जर, चम्‍बल संभाग बाल न्‍यायालय अध्‍यक्ष श्री लक्ष्‍मीनारायण हर्षाना, पूर्व विधायक मुरार ग्‍वालियर रामबरण सिंह गुर्जर, नागदा खाचरोद विधायक श्री दिलीप सिंह गुर्जर आदि प्रमुख हैं ।    

शुक्रवार, दिसंबर 19, 2008

वजूद में आईं दो नई संसदीय सीटें, देवास और रतलाम 'इन' : शाजापुर, सिवनी 'आउट' , हदबंदी से क्षेत्रों में फेरबदल

वजूद में आईं दो नई संसदीय सीटें, देवास और रतलाम 'इन' : शाजापुर, सिवनी 'आउट' , हदबंदी से क्षेत्रों में फेरबदल

भोपाल : 18 दिसम्बर, 2008

आगामी लोकसभा चुनाव में प्रदेश की संसदीय सीटों में विस्तार के लिए हुई परिसीमन की कार्रवाई के चलते दो नई सीटें देवास और रतलाम वजूद में आई हैं। लेकिन शाजापुर ओर सिवनी अब संसदीय निर्वाचन क्षेत्र नहीं रहेंगे और इन्हें अन्य क्षेत्रों में शुमार किया गया है। कुलजमा सीटों की तादाद 29 है जहाँ वर्ष 2009 के लोकसभा आमचुनाव होंगे।

वर्ष 2007 में हो चुके ताज़ा परिसीमन के बाद विधानसभा के साथ ही संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में भी फेरबदल हुआ है। इसी के चलते देवास और रतलाम के बतौर दो नए संसदीय क्षेत्रों का जन्म हुआ है जो कि पहले अन्य सीटों में मिले हुए थे। इसी तरह शाजापुर और सिवनी की पुरानी संसदीय सीटें अब अन्य क्षेत्रों में मिल गई हैं। संसदीय क्षेत्रों में विस्तार के चलते उनके तहत आने वाले कई विधानसभा क्षेत्र भी बदले हैं। परिसीमन की यह कार्रवाई परिसीमन (संशोधन) अधिनियम 2003 (3 ऑफ 2004) के परिपालन में वर्ष 2007 में की गई थी। इस सिलसिले में हुई निर्वाचन क्षेत्र विस्तार की कार्रवाई का वाकायदा भारत और मध्यप्रदेश के राजपत्रों में प्रकाशन हो चुका है।

हदबंदी (परिसीमन) की इस कार्रवाई के चलते वर्ष 2009 के लोकसभा आमचुनाव में संसदीय सीटों और इनके तहत आने वाले विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में कुछ बदलाव हुए हैं और ये अन्य क्षेत्रों में जुड़ गए हैं। शाजापुर का देवास सीट में और सिवनी का बालाघाट सीट में विलय हो गया है।

 

परिसीमन के बाद संशोधनों के साथ प्रदेश की कुल 29 संसदीय सीटों और उनके तहत आने वाले विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की जानकारी इस प्रकार है -

 

क्र

संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का नाम

 

नए विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के अनुसार विस्तार

 

1.

 

मुरैना

 

1 श्योपुर, 2 विजयपुर, 3 सबलगढ़, 4 जौरा, 5 सुमावली, 6 मुरैना, 7 दिमनी और 8 अम्बाह (अ.जा.)।

 

2.

 

भिण्ड (अ.जा.)

 

9 अटेर, 10 भिण्ड, 11 लहार, 12 मेहगांव, 13 गोहद (अ.जा.) 20 सेवढ़ा, 21 भाण्डेर (अ.जा.) और 22 दतिया।

 

3.

 

ग्वालियर

 

14 ग्वालियर ग्रामीण, 15 ग्वालियर, 16 ग्वालियर पूर्व, 17 ग्वालियर दक्षिण, 18 भितरवार, 19 डबरा (अ.जा.), 23 करेरा (अ.जा.) और 24 पोहरी।

 

4.

 

गुना

 

25 शिवपुरी, 26 पिछोर, 27 कोलारस, 28 बामोरी, 29 गुना (अ.जा.), 32 अशोकनगर (अ.जा.), 33 चंदेरी और 34 मुंगावली।

 

5.

 

सागर

 

35 बीना (अ.जा.), 36 खुरई, 37 सुरखी, 40 नरयावली (अ.जा.), 41 सागर, 146 कुरवाई (अ.जा.), 147 सिरोंज और 148 शमशाबाद।

 

6.

 

टीकमगढ़ (अ.जा.)

 

43 टीकमगढ़, 44 जतारा (अ.जा.), 45 पृथ्वीपुर, 46 निवाड़ी, 47 खरगापुर, 48 महाराजपुर, 51 छतरपुर ओर 52 बिजावर।

 

7.

 

दमोह

 

38 देवरी, 39 रहली, 42 बण्डा, 53 मलहरा, 54 पथरिया, 55 दमोह, 56 जबेरा और 57 हटा (अ.जा.)।

 

8.

 

खजुराहो

 

49 चांदला (अ.जा.), 50 राजनगर, 58 पवई, 59 गुन्नौर (अ.जा.), 60 पन्ना, 92 विजयराघवगढ़, 93 मुड़वारा और 94 बहोरीबंद।

 

9.

 

सतना

 

61 चित्रकूट, 62 रैगांव (अ.जा.), 63 सतना, 64 नागोद, 65 मैहर, 66 अमरपाटन और 67 रामपुर-बघेलान।

 

10.

 

रीवा

 

68 सिरमौर, 69 सेमरिया, 70 त्योंथर, 71 मऊगंज, 72 देवतालाब, 73 मनगवां (अ.जा.), 74 रीवा और गुढ़।

 

11.

 

सीधी

 

76 चुरहट, 77 सीधी, 78 सिहावल, 79 चितरंगी (अ.ज.जा.), 80 सिंगरौली, 81 देवसर (अ.जा.), 82 धौहानी (अ.ज.जा.) और 83 ब्यौहारी (अ.ज.जा.)।

 

12.

 

शहडोल (अ.ज.जा.)

 

84 जयसिंहनगर (अ.ज.जा.), 85 जैतपुर (अ.ज.जा.), 86 कोतमा, 87 अनूपपुर (अ.ज.जा.), 88 पुष्पराजगढ़ (अ.ज.जा.), 89 बांधवगढ़ (अ.ज.जा.), 90 मानपुर (अ.ज.जा.) और 91. बड़वारा (अ.ज.जा.)।

 

13.

 

जबलपुर

 

95 पाटन, 96 बरगी, 97 जबलपुर पूर्व (अ.जा.), 98 जबलपुर उत्तर, 99 जबलपुर केंट, 100 जबलपुर पश्चिम, 101 पनागर और 102. सिहोरा (अ.ज.जा.)।

 

14.

 

मण्डला (अ.ज.जा.)

 

103 शाहपुरा (अ.ज.जा.), 104 डिण्डोरी (अ.ज.जा.), 105 बिछिया (अ.ज.जा.), 106 निवास (अ.ज.जा.), 107 मण्डला (अ.ज.जा.), 116 केवलारी, 117 लखनादौन (अ.ज.जा.) और 118 गोटेगांव (अ.जा.)।

 

15.

 

बालाघाट

 

108 बैहर (अ.ज.जा.), 109 लांजी, 110 परसवाड़ा, 111 बालाघाट,112 वारासिवनी, 113 कटंगी, 114 बरघाट (अ.ज.जा.) और 115 सिवनी।

 

16.

 

छिन्दवाड़ा

 

122. जुन्नारदेव (अ.ज.जा.), 123. अमरवाड़ा (अ.ज.जा.), 124 चौरई, 125 सौंसर, 126 छिन्दवाड़ा, 127 परासिया (अ.जा.) और 128. पांढुर्ना (अ.ज.जा.)।

 

17.

 

होशंगाबाद

 

119 नरसिंहपुर, 120 तेंदूखेड़ा, 121 गाडरवारा, 136 सिवनी-मालवा, 137 होशंगाबाद, 138 सोहागपुर, 139 पिपरिया (अ.जा.) और 140 उदयपुरा।

 

18.

 

विदिशा

 

141 भोजपुर, 142 सांची (अ.जा.), 143 सिलवानी, 144 विदिशा, 145 बासौदा, 156 बुधनी, 158 इछावर और 173 खातेगांव।

 

19.

 

भोपाल

 

149 बैरसिया (अ.जा.), 150 भोपाल उत्तर, 151 नरेला, 152 भोपाल दक्षिण-पश्चिम, 153 भोपाल मध्य, 154 गोविन्दपुरा, 155 हुजूर और 159 सीहोर।

 

20.

 

राजगढ़

 

30 चाचौड़ा, 31 राघोगढ़, 160 नरसिंहगढ़, 161 ब्यावरा, 162 राजगढ़, 163 खिलचीपुर, 164 सारंगपुर (अ.जा.) और 165 सुसनेर।

 

21.

 

देवास (अ.जा.)

 

157 आष्टा (अ.जा.), 166. आगर (अ.जा.), 167 शाजापुर, 168 शुजालपुर, 169 कालापीपल, 170 सोनकच्छ (अ.जा.), 171 देवास और 172 हाटपिपल्या।

 

22.

 

उज्जैन (अ.जा.)

 

212 नागदा-खाचरोद, 213 महिदपुर. 214 तराना (अ.जा.), 215 घटिया (अ.जा.), 216 उज्जैन-उत्तर, 217 उज्जैन-दक्षिण, 218 बड़नगर और 223 आलोट (अ.जा.)।

 

23.

 

मंदसौर

 

222 जावरा, 224 मंदसौर, 225 मल्हारगढ़ (अ.जा.), 226 सुवासरा, 227 गरोठ, 228 मनासा, 229 नीमच और 230 जावद।

 

24.

 

रतलाम (अ.ज.जा.)

 

191 अलीराजपुर (अ.ज.जा.), 192 जोबट (अ.ज.जा.), 193 झाबुआ (अ.ज.जा.), 194 थांदला (अ.ज.जा.), 195 पेटलावद (अ.ज.जा.), 219 रतलाम ग्रामीण (अ.ज.जा.), 220 रतलाम सिटी और 221 सैलाना (अ.ज.जा.)।

 

25.

 

धार (अ.ज.जा.)

 

196 सरदारपुर (अ.ज.जा.), 197 गंधवानी (अ.ज.जा.), 198 कुक्षी (अ.ज.जा.), 199 मनावर (अ.ज.जा.), 200 धरमपुरी (अ.ज.जा.), 201 धार, 202 बदनावर और 209 डॉ. अम्बेडकर-महू।

 

26.

 

इन्दौर

 

203 देपालपुर, 204 इन्दौर-1, 205 इन्दौर-2, 206 इन्दौर-3, 207 इन्दौर-4, 208 इन्दौर-5, 210 राऊ और 211 सांवेर (अ.जा.)।

 

27.

 

खरगौन (अ.ज.जा.)

 

183 महेश्वर (अ.जा.), 184 कसरावद, 185 खरगौन, 186 भगवानपुरा (अ.ज.जा.), 187 सेंधवा (अ.ज.जा.), 188 राजपुर (अ.ज.जा.), 189 पानसेमल (अ.ज.जा.) और 190 बड़वानी (अ.ज.जा.)।

 

28.

 

खण्डवा

 

174 बागली (अ.ज.जा.), 175 मांधाता, 177 खण्डवा (अ.जा.), 178 पंधाना (अ.ज.जा.), 179 नेपानगर (अ.ज.जा.), 180 बुरहानपुर, 181 भीकनगाँव (अ.ज.जा.) और 182 बड़वाहा।

 

29.

 

बैतूल (अ.ज.जा.)

 

129 मुलताई, 130 आमला (अ.जा.), 131 बैतूल, 132 घोड़ाडोंगरी (अ.ज.जा.), 133 भैंसदेही (अ.ज.जा.), 134 टिमरनी (अ.ज.जा.), 135 हरदा और 176 हरसूद (अ.ज.जा.)।