शुक्रवार, अप्रैल 24, 2009

भिण्‍ड- मुरैना तेज हुआ घमासान, राजनीतिक सुपर स्‍टारों का मेला और जमीनी युद्ध का बिगुल बजा

भिण्‍ड- मुरैना तेज हुआ घमासान, राजनीतिक सुपर स्‍टारों का मेला और जमीनी युद्ध का बिगुल बजा

चुनाव चर्चा-4

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

भिण्‍ड सीट पर क्‍लीयर कट कांग्रेस की विजय और खतरे में भाजपा की खबरों से भाजपाई रणखेमे की नींद अचानक उड़ गयी है । लम्‍बे अर्से से भाजपा के गढ़ रहे भिण्‍ड और मुरैना में जहॉं अबकी बार मुरैना वापस क्‍लीयर कट भाजपा को प्रचण्‍ड वोटों के साथ मिलने और कांग्रेस को इसी तरह भिण्‍ड की सीट जाने और प्रचण्‍ड जीत दर्ज कराने की खबरें निसंदेह भाजपा के लिये चिन्‍ता जनक है मगर ऐसा हो रहा है और किया भी क्‍या जा सकता है ।

भिण्‍ड में भाजपा के ढेर होने जा रहे गढ़ के पीछे या कांग्रेस के जीतने के पीछे की वजह महज मात्र प्रत्‍याशी आधारित चुनाव हो जाना है । न तो भिण्‍ड में और न मुरैना में ही पार्टीयों के नाम की बकत इस समय है और न पार्टीयों के नाम का कोई असर ही अबकी बार के चुनाव पर ही है ।

डॉ भागीरथ भिण्‍ड के लोगों की निजी पसन्‍द हैं, इसे भाजपा दरकिनार नहीं कर सकती । भागीरथ कोई आजकल से नहीं बल्कि कई वर्षों से भिण्‍ड के लोगों की जुबान पर चढ़े हुये हैं, भिण्‍ड वाले गाहे बगाहे डॉ. भागीरथ के नाम पर गर्व करते आये हैं । जबकि भाजपा प्रत्‍याशी अशोक अर्गल भिण्‍ड की जनता के लिये नये व अपरिचित चेहरे हैं । डॉं भागीरथ अगर भिण्‍ड से लड़ने गये हैं तो उनके पॉजिटिव पाइण्‍टस भी हैं शायद यही सोच कर डॉ भागीरथ ने भिण्‍ड से लड़ने की इच्‍छा जताई होगी । अशोक अर्गल के पास अभी भिण्‍ड में किसी भी उपलब्धि का बखान करने या श्रेय लेने के लिये भी कुछ नहीं हैं । मुझे लगता है भिण्‍ड में भाजपा के लिये केवल इज्‍जत बचाने की लड़ाई ही शेष बची है ।

राजपूत वोटिंग के लिये मारामारी

भिण्‍ड में चुनाव प्रचार के इस आखरी चरण में राजनीतिक दलों के बीच राजपूत वोटों को हथियाने की जमीनी जंग शुरू हो गयी है । जहॉं भाजपा प्रदेश अध्‍यक्ष नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने भिण्‍ड में ताबड़तोड़ सभायें लेकर आक्रामक हमले तेज कर दिये हैं वहीं भिण्‍ड में कल से राजपूत नेताओं और राजनीतिक सुपर स्‍टारों का मेला लगने जा रहा है । कल जहॉं भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष राजनाथ सिंह परेड चौराहे पर सभा को संबोधित करेंगें वहीं, कांग्रेस के राजपूत नेता भी कल से ही भिण्‍ड में आगाज करेंगें कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के म.प्र. के अध्‍यक्ष अजय सिंह ''राहुल भैया'' जहॉं भिण्‍ड के कई गॉंवों में जिसमें बबेड़ी भी शामिल है डॉं भागीरथ के लिये प्रचार करेंगें, उल्‍लेखनीय है कि म;प्र. के पूर्व मुख्‍यमंत्री और वर्तमान केन्‍द्रीय मंत्री अर्जुन सिंह का चम्‍बल के भिण्‍ड और मुरैना क्षेत्र के लोगों में काफी सम्‍मान और प्रभाव है, अजय सिंह राहुल भैया भी अपने मंत्री काल में भिण्‍ड और मुरैना में अपनी विशिष्‍ट छाप छोड़ कर अंचल के नौजवानों में खासा प्रभाव और आकर्षण रखते हैं । निसंदेह राजपूत वोटिंग ही नहीं बल्कि अन्‍य जातियों व समाजों की वोटिंग भी राहुल भैया के दौरे से काफी प्रभावित होगी । मुझे लगता है कि कांग्रेस को राहुल भैया को भिण्‍ड में लगातार कई कार्यक्रम करवाना चाहिये थे । फायदा कई गुना बढ़ जाता । दिग्विजय सिंह ने भाजपा के इस अभेद्य गढ़ को काफी हद तक भेद दिया है और भाजपा की बुनियादें हिला कर खोखला कर डाला है । राहुल भैया भी इस क्षेत्र में यही काम और भी अधिक सशक्‍त ढंग से कर सकते हैं

भिण्‍ड में राजनाथ सिंह और राहुल भैया के कल के कार्यक्रमों के बाद 26 को प्राइम मिनिस्‍टर इन वेटिंग लालकृष्‍ण आडवाणी तथा उनके ठीक पीछे 27 अप्रेल को कांग्रेस के राहुल गांधी के कार्यक्रम देखने को मिलेंगें । इस बीच दिग्विजय सिंह के कमरतोड़ झटके अभी भिण्‍ड के भाजपाईयों को और झेलने पड़ेंगे । अभी तो हालात ये हैं कि दिग्विजय सिंह का नाम सुनते ही भाजपाईयों को पसीने छूट जाते हैं । फिलवक्‍त दोनों पार्टीयों ने भिण्‍ड कवर करने के लिये राजपूत नेताओं की पूरी फौज झोंक दी हैं और घमासान तकरीबन युद्ध जैसे माहौल में बदल गया है ।

लो भईया भिण्‍ड में लव मैरिज और मुरैना में अरेंज्‍ड मैरिज, गुना ग्‍वालियर में दिल वाले दुल्‍हनियां ले जायेगे

आज दैनिक भास्‍कर ने चुनाव को दूल्‍हा, ई.वी.एम. को दुल्‍हन और मतदान को बारात कहा है, इससे मिलता जुलता किस्‍सा ग्‍वालियर चम्‍बल की चारों सीटों पर भी चल रहा है, इन चारों सीटों की सिचुयेशन कुछ यूं वर्णित की जानी चाहिये कि भिण्‍ड में लव मैरिज (मन पसन्‍द प्रत्‍याशी) , मुरैना में अरेंज्‍ड मैरिज (झेलना पड़ेगा मजबूरी का प्रत्‍याशी) , गुना और ग्‍वालियर में दिल वाले दुल्‍हनियां ले जायेंगे ( आल्‍हा ऊदल की तरह जंग करके दुल्‍हन हासिल की जायेगी) गुना ग्‍वालियर में दूल्‍हों की बारात पहले से ही घूम रही है और मुरैना भिण्‍ड में बारात अभी सज रही है । 

मुरैना आखिर चल ही गयी भेलसा की तोप

भाजपा ने मुरैना में जिस तरह सभी वल्‍नरेबलिटीयों का सूपड़ा साफ किया है, भाई वाकई नरेन्‍द्र सिंह तोमर की दाद देनी ही पड़ेगी । समानता दल के रमाशंकर शर्मा को भाजपा में दल सहित विलय करके अपने खिलाफ लगभग सारी बल्‍नरेबलिटीयों का सूपड़ा साफ कर दिया है । मैं समझता हूं इसका दूरगामी परिणाम भी बहुत लाजवाब होगा । राजनीतिक तौर पर मुरैना में नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने भाजपा की जड़े इतनी पुख्‍ता और गहरी कर दी हैं कि अब यहॉं भाजपा से पार पाना किसी के बूते की बात नहीं होगी । नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने जिस कदर हवा में तलवारें भांजी है उससे सारे राजनतिक आसमान के परिन्‍दे कट कट कर अपने आप उनकी झोली में आ गिरे हैं, यह वाकई हैरत अंगेज है । काबिले तारीफ है, भईया कुछ तो हमारे लिये छोड़ देते ।

वोटिंग वल्‍नरेबलिटी का आखरी धड़ा गूजर वोटों को एक मुश्‍त अपनी झोली में पटकने के लिये आखिर नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने तुरूप का इक्‍का चल ही दिया, एक पूर्व मंत्री के कारण गूजर वोट वल्‍नरेबल हो गये थे और कॉग्रेस की झोली में जाने के लिये बेताब हो उठे थे । उधर कॉंग्रेस प्रत्‍याशी ने मीणवाद का कार्ड खेला इधर भाजपा ने गूजर कार्ड आखिर चल ही दिया, गूजरों के हीरो कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला को आखिर मुरैना बुलवा ही लिया । इसके साथ ही मुरैना गूजर मतों की वल्‍नरेबलिटी पूरी तरह खत्‍म होकर नरेन्‍द्र सिंह तोमर के लिये एकमत हो जायेगी । पिछड़े वर्ग की अन्‍य जातियां पहले से ही राजपूतों की पक्षधर हैं । (यह चम्‍बल और राजपूताने का अनचेन्‍जेबल स्‍वत: संचालन सिस्‍टम है) 

कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला का आगमन निसंदेह कांग्रेस के रामनिवास के लिये अंतिम आस टूटने का स्‍पष्‍ट संकेत है । उल्‍लेखनीय है कि कर्नल बैसला का मुरैना के गूजरों पर अंध प्रभाव है और इस प्रभाव को डाउन करने का कोई तोड़ फिलहाल कांग्रेस के पास नहीं है । कर्नल जहॉं भी कहेंगे, गूजर वहीं जायेंगे । अब कोई भी चिल्‍लाता रहे, गूजर कुछ भी नहीं सुनेंगे । इस गलती की शुरूआत रामनिवास रावत ने मीणा कार्ड खेल कर की । मीणा वोट मुरैना सीट पर जहॉं नाममात्र के हैं वहीं भाजपा के मेहरबान सिंह रावत तथा पूर्व विधायक बूंदीलाल रावत एवं मुरैना के किरार यादवों द्वारा जो तोड़ फोड़ सबलगढ़ विजयपुर क्षेत्र में की जानी है वह भी रामनिवास के लिये खतरनाक है । कर्नल बैसला कल करहधाम पर सबेरे 11 बजे गूजरों की पंचायत लेंगे और नरेन्‍द्र सिंह तोमर के पक्ष में मतदान के लिये गूजरों से अपील करेंगे । इस क्षेत्र में ग्‍वालियर के राजा मान सिंह तोमर की रानी मृगनयनी के वंशज तोंगर गूजरों की भी भारी संख्‍या है जिनका पहले से ही झुकाव तोमरो के प्रति है ।   

करहधाम यूं तो उ.प्र. के सिकरवारों की मिल्कियत है और इस आश्रम का पूरा कण्‍ट्रोल यू.पी. के सिकरवार राजपूतों के पास है लेकिन गूजरों का यह सर्वमान्‍य तीर्थ स्‍थान है और मुरैना में इसका नियंत्रण संचालन और सम्‍पादन पूरी तरह गूजरों के हाथ है, इस आश्रम की विशिष्‍ट मान्‍यता यह है कि करह आश्रम से चला हुक्‍म गूजरों के लिये परामात्‍मा का एकमात्र आदेश है और जिसका उल्‍लंघन कतई नहीं हो सकता ।

दूसरा तीर्थ इसी क्षेत्र शनीचरा मंदिर है, जहॉं शनिदेव की प्रतिमा स्‍थापित है , संयोगवश कल यहॉं भी शनीचरी अमावस का मेला भरेगा । और इस मेले पर भी बैसला को भाजपा ले जा सकती है वहीं कल यह मेला राजनीति का मेला बन सकता है ।

भाजपा के लिये सिर्फ शहरी मुसलमान बल्‍नरेबलिटी शेष है, ग्रामीण मुसलमान तो विशुद्ध तोमर राजपूत हैं जिन्‍हें औरंग जेब ने मुसलमान बना दिया था । अत: ग्रामीण मुसलमान मत स्‍वत: ही भाजपा की ओर मुड़ गये हैं ।