गुरुवार, मई 21, 2009

मुरैना के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनुराग शर्मा का एक अंदाज यह भी

मुरैना के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनुराग शर्मा का एक अंदाज यह भी

पुलिस की नौकरी के अलावा एक बेहतर प्रतिभा और कला का धनी भी है यह अफसर

 

नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''

 

कई बार प्रतिभायें और विद्वता अपनी कलात्मक खूबियों को लेकर सरकारी वर्दी के पीछे कर्तव्य पालन की वेदी पर भेंट चढ़ जातीं हैं और अक्सर सरकारी अफसरों को हम सदा एक अलग नजरिये से देखते हैं !

मैंने इण्टरनेट पर भीड़ में से सदा कुछ विशिष्ट लोगों की तलाश की है, आज मैं कुछ तलाश रहा था कि अचानक एक जाना पहचाना चेहरा (जाने पहचाने लोग इण्टरनेट पर यदा कदा ही मिलते हैं) मेरी नजर में आया और मुरैना के कुन्तलपुर यानि कुतवार पर आलेख पढ़ते पढ़ते मुझे लगा कि किसी ने वाकई बड़ा बेहतरीन आलेख लिखा है वह भी मय चित्रों के ! जिज्ञासावश लेखक को जानने की इच्छा हुयी तो जो श्रीमान इस लेख के रचयिता थे उनकी प्रोफाइल देखकर मैं चौंक गया !

इस आलेख के रचयिता थे मुरैना की मशहूर पुलिस हस्ती भाई अनुराग शर्मा जो कि मुरैना में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हैं ! उसके बाद मैंने उनका सारा ब्यौरा और सारा ब्लाग देखा ! मुझे कुछ खास बात लगी तो मैंने आपके साथ शेयर करना उचित समझा !

अभी तक आप सब हमारे बिहार के मुजफ्फरनगर के डी.आई.जी. पुलिस अरविन्द पाण्डेय से खास परिचित हो ही गये होंगे ! उनकी प्रतिभा, कला और भावनाओं का वाकई मैं कायल हूँ और जब भी उनकी कोई नई पोस्ट आती है, मैं तुरन्त मॉडरेशन में प्रकाशित कर देता हूँ ! उनकी भावनायें और रचनायें इतनी श्रेष्ठ होतीं हैं कि लगता है कि काश हर पुलिस आफिसर मानवता के इतने नजदीक होता ! उनके गीत और कविताये तो दिल को छू जातीं हैं , कुछ गीत तो उन्होंने अपनी बिटिया के स्वर में प्रस्तुत किये हैं ! हालांकि पाण्डेय जी शायद तकनीकी स्त्राेतों व संसाधनों का बेहतर उपयोग नहीं कर पा रहे हैं या शायद अनभिज्ञ हैं, वरना और भी करिश्मा उभर कर आता ! अब तो उनका प्रकरणों को सुलझाने का सामाजिक व पारिवारिक स्टाइल भी मुझे खूब भाया !

अभी तक अरविन्द पाण्डेय भैया का इण्टरनेट पर धमाल मचा था लेकिन अब हमारे मुरैना के एडीशनल एस.पी. अनुराग शर्मा जी ने भी दस्तक दे दी है ! और एण्ट्री भी काफी धमाकेदार है !

आप जो लिखते हैं, आपके साहित्य व विचार से आपका व्यक्तित्व भली भांति जाना जा सकता है !

अनुराग शर्मा जी ने अपने ब्लाग पर जो भी अभी तक प्रस्तुत किया है वह जिज्ञासुओं और अन्वेषकों तथा उत्कृष्ट साहित्य के इच्छुकों के लिये बहुत बेहतर है ! उनके द्वारा लिखे गये लेख वाकई बेहतरीन उत्कृष्ट कोटि के हैं तथा भाषा व साहित्य के व्याकरण पर पकड़ भी इतनी बेहतर है कि अच्छे अच्छे पत्रकार व साहित्यकार (जो खुद को उच्च कोटि का साहित्यकार या पत्रकार मानते हैं वे अनुराग शर्मा जी को जरूर पढ़ें ) बेहद संतुलित व संयमित वाक्यावली स्वत: ही मनमोहन हैं !

उनके द्वारा प्रदत्त जानकारीयां प्रमाणिक व उच्च स्तरीय हैं और चौंकाने वाली भी क्योंकि जो काम हम लोग कर रहे हैं या हमें करना है उसे कोई और भी गुप्त तरीके से भी कर रहा है ! और हम सबसे अधिक बेहतर तरीके से ! फोटोग्राफों की क्वालिटी भी उच्च कोटि की है !

उनके आलेखों में विद्वता, रिसर्च और प्रमाणिकता का तत्व स्वत: ही महसूस हो जाता है ! हालांकि ककनमठ, कुतवार और बटेश्‍वरा पर उनका आलेख तथ्यात्मक रूप से त्रुटिपूर्ण है और मैंने इस सम्बन्ध में उन्हें टिप्पणी के जरिये संकेत भी कर दिया है !

अनुराग जी का ब्लॉग ब्लागर पर बना हुआ है और ऍंग्रेजी वाक्य इम्प्रेशन्स के नाम से है ! आप यहाँ क्लिक करके उन्हें पढ़ सकते हैं ! http://yoursanurag.blogspot.com/ उनका ब्लागर पर आगमन फरवरी 2009 में हुआ है तथा पहली पोस्ट मार्च में लिखी है एवं अंतिम अपडेट 10 मई 2009 को हुयी है !

अनुराग शर्मा जी कवितायें भी लिखते हैं यहॉं ग्‍वालियर टाइम्‍स पर हम उनकी लिखी हुयी कविता दे रहे हैं जिससे आप उनके इस पहलू से भी वाकिफ हो सकें ! उनकी कविता तथा कुछ लेख आप ग्वालियर टाइम्स पर पढ़ सकेंगे ! तथा भविष्य में सिंडीकेशन के जरिये उनके ताजे अपडेट भी ग्वालियर टाइम्स पर देखने को मिलेंगे !

अनुराग शर्मा जी को पुराने फिल्मी गाने पसन्द हैं , उनके पसन्दीदा गायक जगजीत सिंह व चित्रा सिंह गजल गायक हैं फिल्मी गीत उन्हें यसुदास के और गुलजार के पसन्द हैं ! उन्हें अंग्रेजी फिल्में पसन्द हैं ! पसन्दीदा फिल्मों की उनकी सूची काफी लम्बी है ! अनुराग शर्मा की पसन्दीदा पुस्तकें शरलॉक होम्स, पेरी मेसन की किताबें, और राग दरबारी हैं ! अभी तक उनकी प्रोफाइल करीब 250 बार विजिट की गयी है !  

 

मुरैना के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनुराग शर्मा का एक अंदाज यह भी

मुरैना के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनुराग शर्मा का एक अंदाज यह भी

पुलिस की नौकरी के अलावा एक बेहतर प्रतिभा और कला का धनी भी है यह अफसर

 

नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''

 

कई बार प्रतिभायें और विद्वता अपनी कलात्मक खूबियों को लेकर सरकारी वर्दी के पीछे कर्तव्य पालन की वेदी पर भेंट चढ़ जातीं हैं और अक्सर सरकारी अफसरों को हम सदा एक अलग नजरिये से देखते हैं !

मैंने इण्टरनेट पर भीड़ में से सदा कुछ विशिष्ट लोगों की तलाश की है, आज मैं कुछ तलाश रहा था कि अचानक एक जाना पहचाना चेहरा (जाने पहचाने लोग इण्टरनेट पर यदा कदा ही मिलते हैं) मेरी नजर में आया और मुरैना के कुन्तलपुर यानि कुतवार पर आलेख पढ़ते पढ़ते मुझे लगा कि किसी ने वाकई बड़ा बेहतरीन आलेख लिखा है वह भी मय चित्रों के ! जिज्ञासावश लेखक को जानने की इच्छा हुयी तो जो श्रीमान इस लेख के रचयिता थे उनकी प्रोफाइल देखकर मैं चौंक गया !

इस आलेख के रचयिता थे मुरैना की मशहूर पुलिस हस्ती भाई अनुराग शर्मा जो कि मुरैना में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हैं ! उसके बाद मैंने उनका सारा ब्यौरा और सारा ब्लाग देखा ! मुझे कुछ खास बात लगी तो मैंने आपके साथ शेयर करना उचित समझा !

अभी तक आप सब हमारे बिहार के मुजफ्फरनगर के डी.आई.जी. पुलिस अरविन्द पाण्डेय से खास परिचित हो ही गये होंगे ! उनकी प्रतिभा, कला और भावनाओं का वाकई मैं कायल हूँ और जब भी उनकी कोई नई पोस्ट आती है, मैं तुरन्त मॉडरेशन में प्रकाशित कर देता हूँ ! उनकी भावनायें और रचनायें इतनी श्रेष्ठ होतीं हैं कि लगता है कि काश हर पुलिस आफिसर मानवता के इतने नजदीक होता ! उनके गीत और कविताये तो दिल को छू जातीं हैं , कुछ गीत तो उन्होंने अपनी बिटिया के स्वर में प्रस्तुत किये हैं ! हालांकि पाण्डेय जी शायद तकनीकी स्त्राेतों व संसाधनों का बेहतर उपयोग नहीं कर पा रहे हैं या शायद अनभिज्ञ हैं, वरना और भी करिश्मा उभर कर आता ! अब तो उनका प्रकरणों को सुलझाने का सामाजिक व पारिवारिक स्टाइल भी मुझे खूब भाया !

अभी तक अरविन्द पाण्डेय भैया का इण्टरनेट पर धमाल मचा था लेकिन अब हमारे मुरैना के एडीशनल एस.पी. अनुराग शर्मा जी ने भी दस्तक दे दी है ! और एण्ट्री भी काफी धमाकेदार है !

आप जो लिखते हैं, आपके साहित्य व विचार से आपका व्यक्तित्व भली भांति जाना जा सकता है !

अनुराग शर्मा जी ने अपने ब्लाग पर जो भी अभी तक प्रस्तुत किया है वह जिज्ञासुओं और अन्वेषकों तथा उत्कृष्ट साहित्य के इच्छुकों के लिये बहुत बेहतर है ! उनके द्वारा लिखे गये लेख वाकई बेहतरीन उत्कृष्ट कोटि के हैं तथा भाषा व साहित्य के व्याकरण पर पकड़ भी इतनी बेहतर है कि अच्छे अच्छे पत्रकार व साहित्यकार (जो खुद को उच्च कोटि का साहित्यकार या पत्रकार मानते हैं वे अनुराग शर्मा जी को जरूर पढ़ें ) बेहद संतुलित व संयमित वाक्यावली स्वत: ही मनमोहन हैं !

उनके द्वारा प्रदत्त जानकारीयां प्रमाणिक व उच्च स्तरीय हैं और चौंकाने वाली भी क्योंकि जो काम हम लोग कर रहे हैं या हमें करना है उसे कोई और भी गुप्त तरीके से भी कर रहा है ! और हम सबसे अधिक बेहतर तरीके से ! फोटोग्राफों की क्वालिटी भी उच्च कोटि की है !

उनके आलेखों में विद्वता, रिसर्च और प्रमाणिकता का तत्व स्वत: ही महसूस हो जाता है ! हालांकि ककनमठ, कुतवार और बटेश्‍वरा पर उनका आलेख तथ्यात्मक रूप से त्रुटिपूर्ण है और मैंने इस सम्बन्ध में उन्हें टिप्पणी के जरिये संकेत भी कर दिया है !

अनुराग जी का ब्लॉग ब्लागर पर बना हुआ है और ऍंग्रेजी वाक्य इम्प्रेशन्स के नाम से है ! आप यहाँ क्लिक करके उन्हें पढ़ सकते हैं ! http://yoursanurag.blogspot.com/ उनका ब्लागर पर आगमन फरवरी 2009 में हुआ है तथा पहली पोस्ट मार्च में लिखी है एवं अंतिम अपडेट 10 मई 2009 को हुयी है !

अनुराग शर्मा जी कवितायें भी लिखते हैं यहॉं ग्‍वालियर टाइम्‍स पर हम उनकी लिखी हुयी कविता दे रहे हैं जिससे आप उनके इस पहलू से भी वाकिफ हो सकें ! उनकी कविता तथा कुछ लेख आप ग्वालियर टाइम्स पर पढ़ सकेंगे ! तथा भविष्य में सिंडीकेशन के जरिये उनके ताजे अपडेट भी ग्वालियर टाइम्स पर देखने को मिलेंगे !

अनुराग शर्मा जी को पुराने फिल्मी गाने पसन्द हैं , उनके पसन्दीदा गायक जगजीत सिंह व चित्रा सिंह गजल गायक हैं फिल्मी गीत उन्हें यसुदास के और गुलजार के पसन्द हैं ! उन्हें अंग्रेजी फिल्में पसन्द हैं ! पसन्दीदा फिल्मों की उनकी सूची काफी लम्बी है ! अनुराग शर्मा की पसन्दीदा पुस्तकें शरलॉक होम्स, पेरी मेसन की किताबें, और राग दरबारी हैं ! अभी तक उनकी प्रोफाइल करीब 250 बार विजिट की गयी है !  

 

पशुपालक पौष्टिकता बढ़ाने के लिये भूसा/पुआल का यूरिया उपचार करें

पशुपालक पौष्टिकता बढ़ाने के लिये भूसा/पुआल का यूरिया उपचार करें

Article Presented BY : Zonal Public Relations Office , Gwalior – Chambal Zone

ग्वालियर,20 मई 09। पशुओं के स्वास्थ्य व दुग्ध उत्पादन हेतु हरा चारा व पशु आहार एक आदर्श भोजन है किन्तु हरे चारे का वर्ष भर उपलब्ध न होना तथा पशुआहार की अधिक कीमत पशु पालकों के लिए एक समस्या है।

      सामान्यत: धान और गेंहूँ का भूसा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहता है । लेकिन इनमें पोषक तत्व बहुत कम होते हैं । प्रोटीन की मात्रा 4 प्रतिशत से भी कम होती है । भूसे का यूरिया से उपचार करने से उसकी पौष्टिकता बढती है और प्रोटीन की मात्रा उपचारित भूसे में लगभग 9 प्रतिशत हो जाती है। पशु को यूरिया उपचारित चारा खिलाने पर उसको नियमित दिये जाने वाल पशुआहार में 30 प्रतिशत तक की कमी की जा सकती है । उपचार के लिये चार किलो यूरिया को 40 लीटर पानी में (समिति की दूध वाली केन के बराबर) घोलें । एक क्विंटल भूसे को जमीन में इस तरह फैलायें कि परत की मोटाई लगभग 3 से 4 इंच रहे । तैयार किये गये 40 लीटर घोल को इस फैलाये गये भूसे पर हजारे से छिड़कें । फिर भूसे को पैरों से अच्छी तरह चल-चल कर या कूद-कूद कर दबायें । इस दबाये गये भूसे के ऊपर पुन: एक क्विंटल भूसा फैलाएं और पुन:चार किलो यूरिया को 40 लीटर पानी में घोलकर, हजारे से भूसे के ऊपर छिड़काव करें और पहले की तरह इस परत  को भी चल-चल कर या कूद-कूद कर दबायें ।

      इस तरह एक के ऊपर एक सौ-सौ किलो की 10 पर्ते डालते जायें,घोल का छिड़काव करते जायें और दबाते जायें । उपचारित भूसे को प्लास्टिक शीट से ढक दें और उससे जमीन में छूने वाले किनारों पर मिट्टी डाल दें । जिससे बाद में बनने वाली गैस बाहर न निकल सके । प्लास्टिक शीट न मिलने की स्थिति में ढेर के ऊपर थोड़ा सूखा भूसा डालें । उस पर थोड़ी सूखी मिट्टी /पुआल डालकर चिकनी गीली मिट्टी /गोबर से लीप भी सकते हैं । एक बार में कम से कम एक टन (1000 किलो) भूसे का उपचार करना चाहिये । एक टन भूसे के लिए 40 किलो यूरिया और 400 लीटर पानी का आवश्यकता होती है ।

यूरिया को कभी जानवर को सीधे खिलाने का प्रयास नहीं करना चाहिये । यह पशु के लिए जहर हो सकता है । साथ ही भूसे के उपचार के समय यूरिया के तैयार घोल को भी पशुओं से बचाकर रखें ।

उपचार करने के लिए पक्का फर्श अधिक उपयुक्त रहता है । यदि फर्श कच्चा ही हो तो जमीन में भी एक प्लास्टिक शीट बिछाई जाती है । यह उपचार किसी बंद कमरे में या आंगन के कोने में अधिक सुविधाजनक रहता है ।

फसल की कटाई के समय यदि पशु पालक किसान खेत में या घर में चट्टा (बिटौरा/कूप) बनाकर भूसा रखते हों,तो चट्टा बनाने के समय ही भूसे को उपरोक्त विधि से उपचारित कर सकते हैं। इससे अतिरिक्त श्रम की बचत भी होगी । उपचार किये गये भूसे के ढेर को गर्मी में 21 दिन व सर्दी में 28 दिन बाद ही खोलें । खिलाने से पहले भूसे को लगभग 10 मिनट तक खुली हवा में फैला दें । जिससे उसकी गैस उड़ जाये । शुरूआत में पशु को उपचारित भूसा थोड़ा थोड़ा दें । धीरे-धीरे आदत पड़ने पर पशु इसे चाव से खाने लगता है।