गुरुवार, जुलाई 23, 2009

माइक्रोसॉफ्ट ने हॉटमेल की सेटिंग बदलीं, अब पॉप 3 सेवा शुरू

माइक्रोसॉफ्ट ने हॉटमेल की सेटिंग बदलीं, अब पॉप 3 सेवा शुरू

मुरैना / ग्‍वालियर 23 जुलाई 09, माइक्रोसॉफ्ट विण्‍डोज की निर्माता मशहूर साफ्टवेयर कम्‍पनी माइक्रोसॉफ्ट ने जारी अपने संदेश में कहा है कि जो लोग माइक्रोसॉफ्ट का हॉटमेल ई मेल पता उपयोग कर रहे हैं वे अपनी सेटिंग्‍स बदल लें, तथा या तो लाइव मेल नाम की निशुल्‍क साफ्टवेयर फ्री में कंपनी की वेबसाइट से डाउनलोड कर लें या माइक्रोसॉफ्ट आउटलुक 2003 या 2007 प्रयोग करें, और यदि आउटलुक एक्‍सप्रेस का उपयोग करते हैं तो आउटलुक एक्‍सप्रेस की सेटिंग बदल लें तथा उसे पॉप 3 एवं एस.एमटी.पी. सेटिंग में बदल दें, अब हॉटमेल में पॉप 3 और एस.एम.टी.पी. सुविधा उपलब्‍ध है ।  

 

ई गवर्नेन्‍स: त्वरित गति से मिलेगा अब नजूल अनापत्ति प्रमाण पत्र , एन आई सी. ने विकसित की कम्प्यूटराइज्ड प्रणाली, ग्‍वालियर म.प्र. का पहला जिला

ई गवर्नेन्‍स: त्वरित गति से मिलेगा अब नजूल अनापत्ति प्रमाण पत्र , एन आई सी. ने विकसित की कम्प्यूटराइज्ड प्रणाली, ग्‍वालियर म.प्र. का पहला जिला

Gwalior now entered to E Governance Era

With this new system now Gwalior District Administration entered into new era of E Governance. We congratulate to district Administration of Gwalior to initiate Public Services with electronic network in form of E Governance and now Gwalior is First district of state of Madhya Pradesh to use this system in such a way. Especially to District collector Gwalior Shri Aakash Tripathi and NIC team of Gwalior Municipal Corporation of Gwalior already initiated E Governance Practices. – Narendra Singh Tomar "Anand"  

ग्वालियर 22 जुलाई 09। नजूल अनापत्ति प्रमाण पत्र को त्वरित गति से देने के लिये यहां कलेक्ट्रोरेट स्थित एन आई सी. में एक कम्प्यूटराइज प्रणाली विकसित की गई है। इस प्रणाली को विकसित करने वाला ग्वालियर जिला प्रदेश में पहला जिला है। कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी ने आज इसका शुभारंभ किया। उन्होंने औपचारिक रूप से दो आवेदको को नजूल अनापत्ति प्रमाण पत्र भी प्रदाय किये। इन आवेदकों द्वारा दो दिन पूर्व ही एन ओ सी. के लिये आवेदन किया था। इस अवसर पर अपर कलेक्टर श्री वेदप्रकाश, संयुक्त कलेक्टर श्री राजेश बाथम, कलेक्ट्रेट के अन्य अधिकारीगण एवं आवेदकगण उपस्थित थे।

      कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी के निर्देश पर एन आई सी. ग्वालियर ने एक ऐसा साफ्टवेयर विकसित किया है, जिसमें नजूल एन ओ सी. के आवेदनों का निराकरण त्वरित गति से हो सकेगा। इसमें शर्त यह है कि आवेदक को अपना आवेदन नगर निगम को देना होगा, जो नजूल कार्यालय को आयेगा। शेष जांच आदि की प्रक्रिया पूर्ववत रहेगी। नगर निगम के सिटी प्लानर एवं भवन अधिकारी के द्वारा नजूल अधिकारी को संबंधित भूमि के स्वामित्व की जानकारी हेतु पत्र भेजा जायेगा। पत्र के साथ आवेदक द्वारा प्रस्तुत समस्त दस्तावेज संलग्न करने होंगे। नजूल अधिकारी के द्वारा उक्त पत्र पर तत्काल कार्यवाही करते हुए एन आई सी. के सॉफ्टवेयर के माध्यम से डाटावेस से भूमि की स्थिति सीलिंग भूमियों को दृष्टिगत रखते हुए प्राप्त की जायेगी तथा दो दिवस के अंदर नगर निगम को प्रेषित की जायेगी।       

      वर्तमान में नजूल क्षेत्र के 20 ग्रामों का डाटावेस तैयार हो चुका है, तथा शेष का कार्य प्रगति पर है। जिन ग्रामों का डाटावेस तैयार हो चुका है, उनका अनापत्ति प्रमाण पत्र सॉफ्टवेयर द्वारा जारी होगा तथा जिन ग्रामों का डाटावेस तैयार नहीं हुआ है, उनका अनापत्ति प्रमाण पत्र रीडर-2 नजूल अधिकारी द्वारा मिसिल बन्दोबस्त कार्यालय में उपलब्ध प्रतियों के साथ मिलान कराकर नगर निगम में भेजा जायेगा। आवादी के क्षेत्र के नजूल अनापत्ति प्रमाण पत्र की व्यवस्था पूर्वानुसार रहेगी। अनापत्ति प्रमाण पत्र की प्रतियां तहसीलदार नजूल एवं संबंधित राजस्व निरीक्षक नजूल तथा हल्का पटवारी को भी दी जायेगी। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि आवेदक उसी भूमि पर निर्माण कर रहा है, जिसके लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया गया है। यदि अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है तो ऐसी स्थिति में अवैध निर्माण न हो उक्त राजस्व अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे।

 

एन ओ सी. तत्काल मिलेगी

कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी ने बताया कि नजूल एन ओ सी. के लिये कम्प्यूटराइजड् प्रणाली विकसित हो जाने से नजूल एन ओ सी. चाहने वाले आवेदकों को अब कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे तथा इसमें कोई विलम्ब भी नहीं होगा। साथ ही भ्रष्टाचार जैसी कोई शिकायत नहीं मिलेगी। उन्होंने बताया कि इसमें 80 प्रतिशत समस्याओं का निराकरण त्वरित गति से होगा। श्री त्रिपाठी ने बताया कि नजूल द्वारा एन ओ सी. नगर निगम को सीधे भेजी जायेगी। जहाँ से आवेदकों को भवन निर्माण की अनुमति मिलेगी।

 

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में सूर्यग्रहण पर वन्यप्राणियों के व्यवहार का आंकलन

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में सूर्यग्रहण पर वन्यप्राणियों के व्यवहार का आंकलन

Bhopal:Wednesday, July 22, 2009

 

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल में दिनांक 22 जुलाई, 09 को सदी के सबसे बड़े सूर्यग्रहण के अवसर पर विभिन्न वन्यप्राणियों के व्यवहार में होने वाले परिवर्तन का आंकलन किया गया।

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन ने 360 वर्ष के अंतराल से पड़ने वाले इस पूर्ण सूर्यग्रहण के अवसर पर इसके प्रभाव से विभिन्न वन्यप्राणियों के व्यवहार में परिवर्तन हेतु अध्ययन करने का निर्णय लिया गया। इस हेतु वन विहार के सभी वन्यप्राणियों के व्यवहार आंकलन हेतु 23 स्थल चिन्हित किये गये। इन स्थलों पर इन वन्यप्राणियों के रख रखाव में पूर्व से ही लगे हुये कर्मचारियों को मॉनीटरिंग हेतु नियुक्त किया गया। वन्यप्राणियों के सामान्य व्यवहार का अध्ययन करने के लिये सभी कर्मचारियों को दिनांक 11 जुलाई 09 को प्रशिक्षण दिया गया। मॉनीटरिंग कार्य 15 जुलाई 09 से 21 जुलाई 09 तक प्रात: 5.30 से 7.30 बजे तक किया जाकर सभी वन्यप्राणियों के सामान्य व्यवहार की प्रविष्टि इस हेतु निर्धारित डाटाशीट में की गई। इस अध्ययन का उद्देश्य यह था कि सूर्य ग्रहण अवधि में इन वन्यप्राणियों के सामान्य व्यवहार की जानकारी प्राप्त हो सके, ताकि सूर्यग्रहण के दिन व्यवहार में होने वाले सूक्ष्म से सूक्ष्म से परिवर्तन को भी ज्ञात किया जा सके। दिनांक 22 जुलाई 09 को सूर्य ग्रहण के दिन भी प्रात: 5.30 बजे से 7.30 बजे तक पुन: इन वन्यप्राणियों के व्यवहार का अध्ययन कर इसकी प्रविष्टि डाटाशीट में की गई। सूर्यग्रहण के दिन कुछ वन्यप्राणियों में इनके सामान्य दिनों के व्यवहार की तुलना में अंतर स्पष्ट परिलक्षित हुआ। वन्यप्राणीवार व्यवहार निम्न है

 

 

प्रजाति

 

सामान्य व्यवहार

 

सूर्यग्रहण पर व्यवहार

 

कृष्ण मृग

 

सामान्य रूप से चरते रहते थे।

 

सभी एक साथ खड़े रह गये।

 

चीतल, सांभर,नीलगाय

 

सामान्य रूप से चरते रहते थे।

 

सभी एक साथ खड़े रह गये।

 

शाकाहारी छौने

 

बाड़े में घूमते रहते थे।

 

मरे की ओर भागने लगे।

 

सर्प

 

पानी वाले साँप गुच्छों में एक साथ थे।

 

गुच्छे से अलग-अलग हो गये।

 

कछुआ

 

पानी के ऊपर तैरते रहते थे।

 

पानी के अंदर चले गये।

 

पक्षी

 

सभी चहचहाकर आवाज करते रहते थे।

 

सभी पक्षियों की आवाज बंद हो गई। टिटहरी एवं मोर की ही आवाज आई।

 

तेंदुआ

 

सामान्यत: बाड़े में घूमते रहते थे।

 

अपने कमरे में चले गये।

 

वयोवृध्द सिंहनी रेहाना

 

सामान्यत: 6.15 तक सोकर उठ जाती थी।

 

7.00 बजे तक सोती रही।

 

नर बाघ कान्हा

 

सामान्यत: अगल बगल के बाडों में स्थित दोनों मादा बाघ श्वेता एंव बसनी की जाली के नजदीक जाकर बैठता था

 

बांस के झुरमुट में छुपा बैठा रहा। किसी भी मादा बाघ की ओर आकर्षित नहीं हुआ।

 

मादा बाघ श्वेता

 

सामान्यत: नर बाघ कान्हा की जाली के नजदीक बैठती थी।

 

अपने कमरे के पास रहकर अपने आपको छुपाती रही।

 

मादा बाघ बसनी

 

सामान्यत: नर बाघ कान्हा की जाली के नजदीक बैठती थी।

 

बांस के झुरमुट में रहकर अपने आपको छुपाती रही।

 

सफेद बाघ भगत

 

सामान्यत: बाड़े में घूमते रहता था।

 

घूमना बंद कर दुबक कर कमरे में बैठ गया।

 

मादा सफेद बाघ ललिता

 

सामान्यत: बाड़े में घूमती रहती थी।

 

घूमना बंद कर घास में दुबक कर बैठ गई।

 

 

 

पर्यावरण संबंधी परियोजनाओं में गैर-सरकारी संगठनों का अनुदान

पर्यावरण संबंधी परियोजनाओं में गैर-सरकारी संगठनों का अनुदान

पर्यावरण और वन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयराम रमेश ने आज लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि निम्नलिखित स्कीमें पर्यावरणीय परियोजनाओं में गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को प्रतिभागिता के लिए प्रोत्साहन देती है--

1.      राष्ट्रीय प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन प्रणाली सहित पर्यावरणीय अनुसंधान उन्नयन,

2.     प्रदूषण नियंत्रण परियोजनाएं,

3.     संरक्षण,

4.     पर्यावरण शिक्षा, जागरूकता और उत्कृष्टता केन्द्र स्कीम,

5.     पर्यावरण सूचना प्रणाली (एनविस)।

       मंत्री महोदय ने यह भी बताया कि कोई भी पंजीकृत स्वैच्छिक व्यावसायिक गैर- सरकारी संगठन जिसका प्रमाणित प्रत्यायक हो और पर्यावरणीय सामाजिक क्षेत्र में अनुभव हो और समिति पंजीकरण अधिनियम के अंतर्गत कम से कम तीन वर्षों से पंजीकृत हो तथा उक्त अवधि के लिए लेखा परीक्षित लेखा हो, उचित रूप से गठित किया गया प्रबंध निकाय हो और इसकी शक्तियां,र् कत्तव्य और उत्तरदायित्व स्पष्ट रूप से पारिभाषित और लिखित संविधान उपविधि में निर्धारित किए गए हों और परियोजना पर काम करने के लिए सुदृढ वित्तीय स्थिति हो,  उपरोक्त स्कीमों के अंतर्गत पर्यावरण और वन मंत्रालय से वित्तीय सहायता हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए पात्र हैं।

 

लोक सेवकों के खिलाफ लोक शिकायत और पेंशन संबंधी शिकायतें

लोक सेवकों के खिलाफ लोक शिकायत और पेंशन संबंधी शिकायतें

श्री पृथ्वीराज चव्हाण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालयों में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन  तथा संसदीय कार्य मंत्रालयों में राज्य मंत्री ने आज लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बताया कि प्रधान मंत्री कार्यालय, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग तथा पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग द्वारा  शिकायतें प्राप्त होती हैं । इन शिकायतों में मुख्य रूप से लोक सेवकों के विरुध्द शिकायतें, सेवा से संबंधित शिकायतें, कानून और व्यवस्था से संबंधित मुद्दे, बेरोजगारी, वित्तीय सहायता, सम्पत्तिभूमि विवाद और नागरिक सुविधाओं से संबंधित शिकायतें  होती हैं ।

       शिकायतों की छानबीन करने के पश्चात् इन शिकायतों को उनके शीघ्र निवारण हेतु शिकायतकर्ता को सूचित करते हुए राज्य सरकारों को अग्रेषित कर दिया जाता है । सभी राज्यों को निर्देश जारी किए गए हैं कि वे नागरिकों की शिकायतों का दो महीने की अवधि के भीतर निवारण कर दें और यदि शिकायत का निवारण नहीं किया जा सकता हो तो इस अवधि के भीतर एक तर्कसंगत जवाब भी दें ।

 

 

थाने नेटवर्क से जुड़ेंगे, अपराध और अपराधी का पता लगाने वाला नेटवर्क

थाने नेटवर्क से जुड़ेंगे, अपराध और अपराधी का पता लगाने वाला नेटवर्क

 

राज्य सभा

       गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री, श्री अजय माकन ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी कि अपराध और अपराधी ट्रेकिंग नेटवर्क और प्रणाली (सीसीटीएनएस) परियोजना के तहत, जिसे मिशन मोड परियोजना के रूप में कार्यान्वित किए जाने का प्रस्ताव किया गया हैं, वास्तविक समय में अपराध की जांच-पड़ताल और अपराधियों का पता लगाने  की आई टी इनेबल्ड स्टेट ऑफ दि आर्ट ट्रेकिंग प्रणाली की शुरूआत करने के लिए विभिन्न स्तरों पर लगभग 14,000 पुलिस स्टेशनों और 6000 अन्य पुलिस कार्यालयों को आपस में जोड़ा जाएगा । इस परियोजना को इस ढंग से कार्यान्वित किया जाएगा कि परियोजना के कार्यान्वयन की मुख्य भूमिका राज्यों की होगी और केन्द्र की भूमिका काफी हद तक कोर एप्लिकेशन सापऊटवेयर का विकास और प्रबंधन करने और परियोजना कार्यान्वयन के दिशा-निर्देश जारी किए जाने, समीक्षा और मानीटरिंग से संबंधित पहलुओं तक सीमित होगी ।

       इस परियोजना को 11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत वर्ष 2009-2010 से 2011-2012 तक की तीन वर्ष की अवधि के दौरान कार्यान्वित किए जाने की आशा है।