बुधवार, मई 12, 2010

हास्‍य- व्‍यंग्‍य- गुरू घण्‍टाल मुनिवर ज्ञानी ...करहुँ प्रनाम जोरि जुग पानी- भ्रष्टाचार महाराज एक वन्दना- नरेन्‍द्र सिंह तोमर ‘'आनन्‍द''

हास्‍य- व्‍यंग्‍य- गुरू घण्‍टाल मुनिवर ज्ञानी ...करहुँ प्रनाम जोरि जुग पानी- भ्रष्टाचार महाराज एक वन्दना

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

हर बार, हर जगह हुये तेरे दर्शन महाराज ।
अब तो छोडो पिण्ड हमारा करें प्रार्थना आज ।।
चौतरफा साम्राज्य तुम्हारा, नाम गाम चहुँ ओर ।
कभी शक्कर में, आई पी एल में कभी दाल में ठौर ।।
चारों ओर बसे हो प्रभु तुम कित कित देखें नैन ।
सी एम, पी एम, कलेक्टर बाबू तुमसे लागे नैन ।।
बडनसीब बडभागी समझें तुम हो तारणहार ।
सेवा आपकी बडफलदायक नाम है भ्रष्टाचार ।।
छुटमाछी औ बडमछली सब महिं तोरी भक्ति करे निवास ।
क्या डार्लिंग मेहबूबा बीवी सबको, इक तेरी ही आस ।।
सब्जी रोटी औ चावल में प्रभु अब तुम दीखो रोज ।
लवर मंगेतर सारी, साडी माँगे, अब ना लेंतीं रोज ।।
अब प्रेम परीक्षा और इंटरबू लेकर, खाते- लाकर देखदाख कर, लवरें रोज सुनायें ताना ।
चोखी कमाई भाड में डालो, पहले ऊपर की बतलाओ वरना प्यारे भाड में जाओ ये है तानाबाना ।।
बिजली मंत्री लील गया, खंबे लीला अफसर ।
चोरी सारे तार कर लिये बेच खाये ट्रांसफार्मर ।।
उल्टे चोर कोतवाल को डाँटे कहते जनता चोर ।
सब बीवी साली संग में चार रखै हैं कछु और ।।
ऐशो दारू और गुलछर्रे रोज मनावत नेता ।
अफसर की बची खुरचन को बाबू लपक के लेता ।।
धन्य धन्य हे प्रभु जी तुम तो पूरे कृपानिधान ।
नेक कृपा हम पर भी कर तू हम हैं तेरे भक्त महान ।।
बहुत लडे हम तुमसे प्रभु जी हम अज्ञानी थे नादान ।
सब चेले बैठे महलों में जो शरण तेरी गये भगवान ।।
हम निपट मूर्ख अज्ञानी, हे मतिहर, करें वन्दना आज ।
करूणा सुर में फाड टेंटुआ, हे प्रभु भ्रष्टाचार महाराज ।।
दयादृष्टि थोडी सी कर दो, कर सी एम का खासमखास ।
जादा दे तो बडा भोग दूँ बना पी एम का खासमखास ।।
बडा नहीं छुटभैया करदे नेता हम बन जायें महान ।
चाट पोंछ कर दूध मलाई खुरचन बाँटे रोज जहान ।।
सब अफसर से किश्तें बाँधें प्रभु ऐसा कर दो कल्यान ।
सब नेतियन से इश्क करें हम ऐसा प्रभु दो वरदान ।।
ए सी महला बैठ, संग बोतल बकरा करें हलाल ।
मुर्गी बकरी रोज लपेंटे ना बच पाये लाल रूमाल ।।
एक ए सी गाडी भी देना, देना कोई हंसी सा माल ।
ठेकेदार रिश्वत में देवें, दें सेठ फैक्ट्री, नित नूतन माल ।।
प्रभु अरज सुनो अब इस बंदे की या तो कृपा करो महाराज ।
वरना पिण्ड हमारा छोडो सुरग सिधारो अब महाराज ।।


-नरेन्द्र सिंह तोमर "आनन्द"